जॉनसन एंड जॉनसन के कूल्‍हा इम्‍प्‍लांट के मरीजों ने समझौता ठुकराया

जॉनसन एंड जॉनसन के कूल्‍हा इम्‍प्‍लांट के मरीजों ने समझौता ठुकराया

सेहतराग टीम

सर्जिकल इम्‍प्‍लांट बनाने वाली दुनिया की जानी-मानी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की मुसीबत बढ़ सकती है। इस कंपनी द्वारा सप्‍लाई किए गए दोषपूर्ण कूल्‍हा इम्‍प्‍लांट से प्रभावित हुए मरीजों ने कंपनी के मुआवजा फार्मूले को मानना से इनकार कर दिया है। इस फार्मूले को केंद्र सरकार भी अपनी मंजूरी दे चुकी है। मरीजों ने इस फार्मूले को पूरी तरह दोषपूर्ण करार देते हुए कहा कि इस बारे में प्रभावित पक्षकारों से बात तक नहीं की गई है। इतना ही नहीं कंपनी ने इस फार्मूले के तहत कई प्रभावित मरीजों को मुआवजा देने से इनकार भी कर दिया है।

गौरतलब है कि जॉनसन एंड जॉनसन ने साल 2010 से पहले भारत समेत पूरी दुनिया में आर्टीकुलर सरफेस रिप्लेसमेंट इम्‍प्‍लांट बेचे थे जो कूल्‍हे की समस्‍या से परेशान मरीजों में लगाए गए थे। इन मरीजों में कई को बाद में परेशानी हुई और उन्‍हें दोबारा से कूल्‍हे का ऑपरेशन कराना पड़ा था। बाद में पता चला कि ये इम्‍प्‍लांट दोषपूर्ण थे। इसके बाद कंपनी ने बाजार से अपने इम्‍प्‍लांट वापस मंगा लिए थे मगर मामला यहीं नहीं थमा और इस बारे में कई जगह कंपनी को मुकदमों का सामना करना पड़ा। अमेर‍िका में तो कंपनी ने ऐसे करीब 8 हजार मरीजों को ढाई अरब डॉलर का मुआवजा 2013 में ही मंजूर कर दिया। भारत में ये मामला अभी तक चल ही रहा है। भारतीय रुपये में बदलें तो ये राशि प्रति मरीज करीब दो करोड़ 18 लाख रुपये होती है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा को लिखे एक पत्र में मरीजों ने आरोप लगाया है कि मंत्रालय द्वारा सुझाये गए फार्मूले में कई खामियां और अस्पष्टता है। मरीजों का कहना है कि मुआवजे के फार्मूले पर पहुंचने के लिए उनका पक्ष सुनना ‘आवश्यक’ होगा। 

पत्र में कहा गया है कि उन्होंने बार-बार अपील की थी कि मुआवजे के फार्मूले संबंधी समितियों की कार्रवाइयों में तथा इसे लागू करने की व्यवस्था में पारदर्शिता होनी चाहिए। इसके बावजूद मरीजों को पूरी तरह हाशिये पर डाल दिया गया। और तो और सरकार की अगुवाई वाली प्रक्रिया में तक मरीज केवल मूक दर्शक बन गए।

उन्होंने कहा ‘हम आदरपूर्वक कहते हैं कि यह फार्मूला हम स्वीकार नहीं कर सकते जो सिर्फ जॉनसन एंड जॉनसन से चर्चा कर तैयार किया गया है। इसमें सभी पक्षों से बात नहीं की गई।’ 

‘हिप इम्प्लान्ट पेशेन्ट्स सपोर्ट ग्रुप’ के बैनर तले एकत्र हुए 70 प्रभावित मरीजों में से एक, विजय वोझाला ने पत्र में कहा ‘फार्मूले में कई खामियां हैं और अगर पीड़ितों तथा समाज के समूहों के साथ परामर्श किया जाता तो इन खामियों से बचा जा सकता था।’ समूह ने दावा किया कि उसके सदस्य और मरीज देश के विभिन्न हिस्सों से हैं। इन लोगों ने कूल्हे का प्रतिरोपण कराया जो दोषपूर्ण था। 

स्वास्थ्य मंत्रालय ने मरीजों के लिए मुआवजा तय करने संबंधी एक फार्मूले को मंजूरी दी है। यह मुआवजा उन मरीजों के लिए है जिन्होंने अगस्त 2010 से पहले, जॉनसन एंड जॉनसन द्वारा तैयार किए गए दोषपूर्ण हिप इम्प्लान्ट लगवाए। बताया जाता है कि इन मरीजों को दोषपूर्ण इम्प्लान्ट (आर्टीकुलर सरफेस रिप्लेसमेंट...एएसआर) लगे। कंपनी के फार्मूले के अनुसार, प्रभावित लोग 30 लाख रुपये से लेकर 1.2 करोड़ रुपये तक के मुआवजे के पात्र हैं। यानी जिस गलती के लिए कंपनी अमेरिका के मरीज को दो करोड़ 18 लाख रुपये दे रही है बिलकुल उसी गलती के लिए भारतीय मरीजों को 30 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा और अफसोस की बात ये है कि केंद्र सरकार इसके लिए रजामंदी भी दे चुकी है।

मुआवजे की राशि तय करने के लिए सरकार ने स्पोर्ट्स इन्ज्यूरी सेंटर के निदेशक डॉ आर के आर्य की अध्यक्षता में एक केंद्रीय विशेषज्ञ समिति गठित की। समिति ने पांच बैठकों के बाद, एएसआर पीड़ित मरीजों के लिए मुआवजा तय करने का फार्मूला बनाया जिसे मंत्रालय ने मंजूरी दे दी।

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